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دلائل النبوة (هندي)

إعداد: अब्दुल मोहसिन अल-क़ासिम

الوصف

خطبة جمعة بالمسجد النبوي، مترجمة إلى اللغة الهندية، ألقاها فضيلة الدكتور عبد المحسن القاسم أثابه الله في يوم ٢١ ربيع الآخر ١٤٤٣هـ، يتحدث فيها الشيخ عن دلائل نبوة الرسول صلى الله عليه وسلم وأن اللَّهُ جمع لنبيِّنا محمَّدٍ ﷺ أكثرَ وأعظمَ ممَّا جاء به الأنبياء عليهم السَّلام من الآيات.

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पैगंबरी के प्रमाण[1]

समस्त प्रशंसा अल्लाह के लिए है, हम उसी की तारीफ करते हैं, उसी से मदद चाहते हैं और उसी से माफ़ी मांगते हैं, हम स्वयं की बुराइयों से और अपने कर्मों की बुराइयों से उसी की शरण मांगते हैं।

अल्लाह जिसको सत्य मार्ग पर चला दे उसे कोई भटका नहीं सकता और जिसे गुमराह कर दे उसे सीधी राह पर लाने वाला कोई नहीं। मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई पूजनीय नहीं, वो अकेला है कोई उसका साझी नहीं, मैं यह भी गवाही देता हूं कि हज़रत मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अल्लाह के बन्दे और उसके पैगंबर (दूत) हैं।

अतः अल्लाह के बंदो! अल्लाह से वैसे ही डरो जैसे उस से डरना चाहिए और उसे गुप्त मामलों में भी खुद पर निगाह रखने वाला समझो।

अल्लाह ने पैगंबरों को सृष्टि को सीधी राह दिखाने के लिए भेजा, वे अपने पास रब की वाणी की रोशनी से इंसानी फितरत को मुकम्मल करते हैं, साथ ही अल्लाह की इबादत, अच्छे कर्म और अच्छे चरित्र की तरफ अल्लाह के बंदों को बुलाते हैं, जबकि लोगों को भी पैगंबरों की जरूरत खाने-पीने और सांस लेने से अधिकहोती है, क्योंकि इनके बिना सुख, सफलताऔर अल्लाह की रज़ामंदी हासिल नहीं हो सकती।

अल्लाह पूर्णतः निःस्वार्थ होने, पूर्ण शक्ति और सर्वव्यापी ज्ञान में अद्वितीय है और सारे पैग़ंबर (उन सब पर शांति हो) इंसान हैं उनको ये तीनों शक्तियां उतनी ही प्राप्त हैं जितनी खुद अल्लाह ने उन्हें आता की हें । अल्लाह ने अपने पैग़ंबर से कहा : "हे पैग़म्बर आप कह दीजिए कि मैं तुम्हें ये नहीं बताता कि मेरे पास अल्लाह के खज़ाने है, न ही मैं अनदेखे (ग़ैब) को जानता हूं न ही मैं कहता हूं कि मैं फरिश्ता हूं"

अल्लाह ने अपनी शक्ति, ज्ञान और बादशाहत के खज़ानों में से विशेष रूप से उन्हें अपनी स्पष्ट निशानियों से नवाज़ , ताकि बंदों के लिए सिद्ध हो जाए कि वे अल्लाह के पैग़ंबर हैं, तथा वे खबर देने में बिल्कुल सच्चे हैं, पैग़म्बर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा :" हर पैग़म्बर को वो निशानियाँ ज़रूर दी गईं जिन पर इंसान को यक़ीन होता था"।

अतः हज़रत सालेह (अलैहिस्सलाम) एक विशाल ऊंटनी लाये जो चट्टान से प्रकट हुई थी, हज़रत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) कोभयानक आग में डाला गया लेकिन आग उन्हें कोई क्षति नहीं पहुँचा सकी, हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम) को 9 स्पष्ट निशानियाँ दी गईं, आप ने अपनी लाठी समुद्र पर मारी तो पानी के दोनों तट पहाड़ की तरह (खड़े हो गए और बीच में रास्ता बन गया), आप ने अपनी लाठी फेंकी तो वो अजगर बन गई। हज़रत दाऊद (अलैहिस्सलाम) और हज़रत सुलेमान (अलैहिस्सलाम) को परिंदों की बोली सिखाई और उन्हें हर ज़रूरी चीज़ दी गई।

हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) अल्लाह के हुक्म से जन्मजात अंधों और कोढियों को ठीक कर देते, मुर्दों को जिंदा कर देते, आप ने मां कीगोद में बात की और अपने रब के एक होने का एलान किया।

सारे पैगंम्बारों का अच्छा आचरण और सुंदरचरित्र भी उन की सत्यता की साक्ष्य निशानी है । इसी तरह उनकी सच्चाई की एक निशानी यह भी है कि अल्लाह तआला ने उन पैगंबरों और उनके अनुयायियों को विजय बनाया, उन्हें अच्छा परिणाम प्राप्त हुआ, इसके विपरीत जिन लोगों ने उनको झूठलाया और उनका विरोध किया उनको बर्बादी और पीड़ा का सामना करना पड़ा।

हमारे नबी हजरत मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के हाथ पर अल्लाह ने तमाम पैगंबरों से अधिक और उत्तम निशानियां जमा कर दीं, शैखुल इस्लाम इमाम इब्ने तैमिया ( रहमतुल्ला अलैह) बयान करते हैं : "पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के मौजेजा़त (निशानियाँ) हज़ार से ज़्यादा हैं, इस दुनिया में ऐसा कोई ज्ञान नहीं है जिसके लिए मुतवातिर समाचार (व्यापक संख्या में लोगों का किसी चीज के बारे में खबर देना) की आवश्यकता हो, सिवाय पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की निशानियों के, आपकी सच्चाइ की निशानी और धार्मिक पद्धतियों का ज्ञान उससे अधिक स्पष्ट है"। (अल्लाह का कथन है) "उसी अल्लाह ने अपने पैगंबर को हिदायत (मार्गदर्शन) और सच्चे धर्म के साथ भेजा है ताकि तमाम धर्मों पर वह गालिब आ जाए और गवाही के लिए अल्लाह ही काफी है"।

पैगंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की पैगंबरी की एक निशानी यह भी है कि उनके आगमन से पहले पूर्व के पैगंबरों ने उनकी खुशखबरी सुनाई थी : हज़रत इब्राहीम और हज़रत इस्माईल (अलैहिमस सलाम) ने कहा था: हे हमारे रब तू लोगों में ऐसा पैगंबर भेज जो उनके सामने तेरी आयतों का पाठ करें तथा किताब और हिकमत की शिक्षा दें और लोगों को पवित्र करें"। ईसा (अलैहिस्सलाम) ने कहा:"और मैं एक ऐसे पैगंबर के बारे में खुशखबरी देने वाला हूं जो मेरे बाद आयेंगे जिनका नाम अहमद होगा"

जब आप बच्चे थे तो आपकी तरफ एक फरिश्ता उतरा था, उसने आपके सीने को फाड़ कर शैतान का हिस्सा निकाल दिया था, अल्लाह ने पैगंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को नबी बनाने से पहले भी जाहिलियत (पूर्व-इस्लामिक युग) के कुकर्मों और गंदी आदतों से बचाए रखा था, ना किसी ने आप की शर्मगाह को देखा, ना ही आपने किसी मूर्ति को छुआ, ना आपने शराब का सेवन किया, ना ही आपने बुरे काम में किसी का समर्थन किया।

आपके पैगंबर बनते ही आसमान की सुरक्षा उल्काओं द्वारा बढ़ा दी गई जिन से शैतान को मारा जाता है, जिन्नात कहने लगे: "और हमने आकाश को छुआ और उसे शक्तिशाली पहरेदारों और उल्काओं से भरा हुआ पाया"।

पैगंबरी कुछ निशानियां ऐसी हैं जो आपकी जिंदगी में जाहिर हुईं और कयामत तक बाकी रहने वाली है, जैसे महान कुरआन, आपकी शिक्षा और ईमान जिसे आप के अनुयायियों ने वहन किया।

इसी तरह आपकी पैगंबरी की एक निशानीयह है कि महान अल्लाह ने भूतकाल और भविष्य की बहुत सारी घटनाओं के बारे में आप को जो सूचना दी थी आप ने उनकी खबर हमें दी और बड़ी तफसील के साथ लोगों को बताया, जिनके बारे में अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता था, अल्लाह ने कहा: "ये सारी खबरें गैब की हैं जिन्हें हम आपकी तरफ उतारते हैं, इससे पहले आप इन घटनाओं से अवगत नहीं थे, ना ही आपकी कौम इन्हें जानती थी"।

चुनांचे पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने हमेंसामने आदम (अलैहिस्सलाम) की घटना बताई, उन्हें जो फरिश्तों ने सजदा किया था, इबलीस ने सजदा करने से इनकार किया था और वह घमंड में आ कर के खुद को बड़ा समझ बैठा था, ये सब तफ़सील से सुनाया। इसी तरह दूसरे कई पैगंबरों के बहुत ही आश्चर्यजनक घटनाएं और उनकी तफ़सील बताई , साथ ही हम से पहले जिन कौमों ने अपने पैगंबरों के साथ मतभेद किया उसे बयान किया, इसी तरह असहाब ए कहफ (गुफा वाले) और असहाब ए फील (हाथी वाले) की घटनाओं को बयान किया।

महान अल्लाह ने सारी सृष्टि को चैलेंज किया कि वह कुरान की तरह एक सूरह बना कर दिखाएं, साथ ही खबर दी कि वह कयामत तक ऐसा नहीं कर सकते, हुआ भी यही, कोई भी ऐसा ना कर सका।

काफिरों के बारे में (जब पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) मक्का में बड़ी कमज़ोर हालत में थे) भविष्यवाणी कीकि "पूरी जमात (मक्का के काफ़िरों का दल) एक दिन पराजित होगी और पीठ दिखाकर के भागेगी" कई सालों के बाद बिल्कुल ऐसा ही हुआ। बद्र की लड़ाई से एक दिन पहले मुसलमानों को अल्लाह के पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने दिखाया कि कुरैश के बड़े-बड़े लीडर मैदान ए बद्र में ढेर होने वाले हैं। दिखाते हुए आप कहते जाते कि यह फलाने का मृत्यु स्थल है, हज़रत अनस (रजियल्लाहु अन्हू) बयान करते हैं कि पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपने हाथ को जमीन पर रखते और बताते कि यहां यहां फलाने फलाने की मृत्यु होने वाली है, आपने जिस जगह हाथ रखा था वहीं पर उन लोगों की मृत्यु हुई। (सही मुस्लिम)

पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) खैबर की तरफ निकले, आपने अल्लाहू अकबर कहा और ख़बर दी कि खैबर बर्बाद हो गया अत: अल्लाह ने आपको उस पर विजय बनाया। (बुखारी वे मुस्लिम)

रुमियों से लड़ने के लिए आपने अपने साथियों को मूता (स्थान) भेजा और उनकी खबर आने से पहले ही आपने वहां शहीद होने वालों के नाम गिना दिए। (सही बुखारी)

आपने बताया कि आपके जीवन काल में रूमी पारस पर विजय प्राप्त करेंगे, जब पारस के बादशाह का दूत आया तो आपने उससे कहा कि "इस बात में कोई संदेह नहीं कि मेरे रब ने तेरे रब (राजा) को आज रात मौत क घाट उतार दिया है"। (मुसनद अहमद)

आप जब तबूक (स्थान) के रास्ते में थे तो आपने कहा: "आज रात तूफानी हवा चलने वाली है लिहाज़ा तुम में से कोई भी खड़ा ना हो" (और उस रात वैसा ही हुआ)। (बुखारी वे मुस्लिम)

इसी तरह आपने अपनी मौत के करीब आने की खबर दी और अपने प्रिय रब से मिलने की खबर सुनाई, मिंबर पर बैठे और कहा: "एक बंदा है जिसे अल्लाह ने इख्तियार दिया है कि उसे दुनिया के बाग व बहार चाहिए या अपने रब के पास जो कुछ है वो चाहिए तो उसने अपने रब के पास जो कुछ है उसे पसंद किया", अबू बक्र फूट-फूट कर रो पड़े और कहने लगे हमारे मां-बाप आप पर फिदा हों। (बुखारी वे मुस्लिम) इसके बाद आप कुछ ही दिन रहे फिर आप दुनिया से जुदा हो गए।

आपने यह भी बताया कि आप की मृत्यु से एक शताब्दी के बाद आपके साथियों में से इस धरती पर कोई भी जीवित नहीं रहेगा (बुखारी वे मुस्लिम) इस तरह भविष्य के बारे में आपने जो सूचना दी बिल्कुल वही हुआ।

आपने बैतुल मुकद्दस के विजय के बारे में भविष्यवाणी की फिर बताया कि उसके बाद ताऊन वबा (प्लेग) फैलेगी जिससे मुसलमान भारी संख्या में मौत से दोचार होंगे, इसके बाद धन दौलत की रेल पेल होगी लेकिन उसे कोई स्वीकार करने वाला नहीं होगा तो वही हुआ जिसकी आपनेभविष्यवाणी की थी, बैतुल मुकद्दस पर विजय प्राप्त कर लिया गया, सीरिया में ताऊन वबा (प्लेग) फैली, ये दोनों चीज़ें हज़रत उमर (रजियल्लाहु अन्हु) के खिलाफत काल में हुई, फिर हज़रत उस्मान बिन अफ्फान (रजियल्लाहु अन्हु) के ज़माना में धन दौलत की ऐसी रेल पेल हुई कि अगर कोई आदमी किसी को 100 दीनार देता था तो वो नाराज हो जाता था।

आपने यह भी भविष्यवाणी की थी कि "जब शहरों पर विजय प्राप्त होगा तो मदीना वासी भी खुशहाली और समृद्धि कीतलाश में निकलेंगे हालांकि मदीना उनके लिए सबसे बेहतरीन जगह होगा अगर वह जान लें"। (बुखारी वे मुस्लिम)

आपने खबर दी कि रूम और पारस के बादशाह हलाक हो जाएंगे, उनके ख़ज़ानों को अल्लाह के रास्ते में खर्च किया जाएगा, दुनिया पर आपकी उम्मत विजय पा लेगी लेकिन उम्मत के लोग दुनिया पाने के लिए अपने से पूर्व के लोगों की तरह एक दूसरे से मुकाबला बाजी करेंगे, इस तरह आपकी उम्मत पूर्व की उम्मतों का रास्ता अपनाएगी यहां तक कि अगर पूर्व की उम्मतों ने गोह के बिल में प्रवेश किया हो तो वह भी प्रवेश करेगी। (बुखारी वे मुस्लिम)

पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने कयामत की निशानियों को भी बयान किया: जैसे ज्ञान की कमी, मूर्खता की बढ़ोतरी, फितनों का उदय, हत्याओं का बढ़ जाना और लोगों काऊंची इमारतें बनाना

आपने अपने साथियों के सामने एक दिन खड़े होकर उन सब घटनाओं के बारे में सूचित किया जो कयामत तक घटनेवाली हैं, हज़रत हुज़ैफा (रजियल्लाहु अन्हु) बयान करते हैं कि एक बार पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) खड़े हुए और आपने कयामत तक होने वाली चीज़ों में से किसी भी चीज को नहीं छोड़ा, सबको बयान कर दिया, चुनांचे जिसने याद रखना था याद रखा जिसने भुलाना था वह भूल गया। (बुखारी वे मुस्लिम)

आपने उन दृश्यों के बारे में भी सूचना दी जिन्हें आपने आसमान में देखा था, अल्लाह ने आपको आपकी आत्मा और शरीर समेत मक्का से मस्जिद ए अक्सा( बैतुल मुकद्दस) की सैर कराई, फिर आपको आसमान की तरफ उठा लिया गया यहां तक कि आप सिद्रतुल मुंतहा पहुंच गए, फिर उसी रात आप मक्का लौट आए, वहां आपने जन्नत, जहन्नम, उनमें रहने वाले लोग, सिद्रतुल मुंतहा और जो ब्रह्मांड का प्रबंधन करने के लिए कलम की चरमराई आवाज़ होती है उसे भी आपने सुना था, आपने इन सारी बातों को बताया।

अल्लाह ने आपको अपनी अलौकिक और आम इंसानों द्वारा देखी जाने वाली निशानियों के द्वारा भी मदद की, इसी लिए अल्लाह ने चांद के टुकड़े कर दिए जो आप की सच्चाई की बड़ी निशानी है यहां तक कि चांद के दो टुकड़ों को मक्का में और दूसरी जगहों में भी लोगों ने देखा।

आपकी पैगंबरी की निशानियां इंसानों में भी जाहिर हुईं, हज्जे विदा के भासण में अल्लाह ने लोगों के कानों को खोल दिया, यहां तक कि पूरे मजमेने आपकी आवाज को सुना जबकि उस मजममे में लोगों की संख्या एक लाख से अधिक थी। (सुनन अबू दावूद)

पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने हज़रत अनस (रजियल्लाहु अन्हु) के लिए माल और औलाद की बढ़ोतरी के लिए दुआ फरमाई, हज़रत अनस ने खुद अपने जीवन काल में अपने कुल के 120 औलाद को स्वयं दफन किया। (बुखारी वे मुस्लिम)

आपने हजरत अबू हुरैरह (रजियल्लाहु अन्हु) और उनकी माता के लिए दुआ की कि हे अल्लाह! इन दोनों को ईमान वालों की नजर में प्यारा बना दे, अबू हुरैरह बताते हैं: "सो जो भी ईमान वाला पैदा होता है, जो मेरे बारे में सुनता है या मुझे देखता है वह मुझसे प्रेम करने लगता है"। (सही मुस्लिम)

आपने हज़रत उरवा अल बारिक़ी (रजियल्लाहु अन्हु) के लिए उनके कारोबार में बरकत की दुआ की तो ऐसा हो गया कि अगर वह मिट्टी भी बेचते तो उसमें भी उनको लाभ होता। (सही बुखारी)

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अतीक (रजियल्लाहु अन्हु) का पैर टूट गया तो पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने उस पर हाथ फेरा, पैर ठीक हो गया। (सही बुखारी)

हज़रत अली (रजियल्लाहु अन्हु) की दोनों आंखों में आपने अपना थूक लगाया क्योंकि उनकी आंखों में सूजन आ गईथी, उनकी आंखें ऐसी ठीक हुईं गोया उनमें दर्द ही नहीं था। (बुखारी वे मुस्लिम)

आपकी पैग़ंबरी के साक्ष्य जानवरों में भी जाहिर हुए, एक दिन आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने एक बाग में प्रवेश किया, ये कुछ अंसारी लोगों का बाग था, उसमें ऐक ऊंट भी था जब उस ऊंट ने पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को देखा तो रोने लगा, पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने उस पर हाथ फेरा तो वह खामोश हो गया, तुरंत ऊंट के मालिक से आपने कहा: "क्या इस जानवर के प्रति तुम्हें अल्लाह का भय नहीं होता जिसने तुम्हें इसका मालिक बनाया है! इसने मुझे शिकायत की है कि तुम इसे दर्द पहुंचाते हो और तकलीफ देते हो" अर्थात बहुतथका देते हो। (सुनन अबू दावूद)

हज़रत आयशा (रजियल्लाहु अन्हा) बयान करती हैं कि अल्लाह के पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के घराने में एक जंगली जानवर था, आप जब घर से निकलते तो वो बहुत खेलता उछलता, आगे पीछे छलांगें मारता था, लेकिन जब वह पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के आगमन की आहट महसूस करता तो बिल्कुल चुपचाप बैठ जाता, किसी तरह की कोई आवाज़ नहीं करता था, आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जब तक घर में होते वह उसी तरह रहता, की कहीं नबी को परेशानी ना हो। (मुसनद अहमद)

आपकी पैग़ंबरी की निशानियों में से एक खानपान को बढ़ाने का चमत्कार भी है जो कई बार हुआ था, हुदैबिया के स्थान में आपके साथ आपके पंद्रह सौ साथी थे, हज़रत जाबिर (रजियल्लाहु अन्हु) बयान करते हैं कि पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अपना हाथ एक छोटे से बर्तन में रखा तो आपकी उंगलियों से पानी फूट पड़ा जैसे झरने फूट पड़ते हैं, हमने उस पानी को पिया और उससे वजू भी किया, उनसे कहा गया कि आप लोग कितने थे? तो उन्होंने बताया कि अगर हम एक लाख भी होते तब भी हमारे लिए वह पानी काफी होता, हम पंद्रह सौ थे। (सही बुखारी)

जात अर-रेक़ा की जंग में पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने खाने के बर्तन में पानी जमा करवाया और उसी बर्तन से पूरी फौज ने अपने बर्तनों में पानी भरा।

खैबर में खाना कम पड़ गया तो पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने हुक्म दिया कि लोगों के पास जो खाने का सामान है सब जमा कर दें, फिर आपने उन सब चीजों पर बरकत की दुआ की, फिर लोगों ने खाना शुरू किया यहां तक कि पूरी फौज ने पेट भर खाना खा लिया, उस दिन भी वे पंद्रह सौ थे। इसी तरह आपके साथ तबूक के युद्ध में तीस हज़ार की सेना थी, उनको पानी की तलाश थी, आपने वहां के झरनों में से एक झरने से वुजू किया तो पानी का फव्वारा फूट पड़ा यहां तक कि सारे लोगों ने प्यास बुझाई। (सही मुस्लिम)

हज़रत समुरा बिन जुनदुब बताते हैं कि हम अल्लाह के पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथ एक लकड़ी की ऐक बढ़ी सी गोल प्लेट में बारी-बारी खाना खा रहे थे, सुबह से शाम तक यह दौर चलता रहा, हम में से 10 आदमी (खाना खाने के बाद) खड़े होते फिर 10 आदमी बैठ जाते, (सुन्नेवाले कहते हैं) हमने कहा: किस चीज से खाना बढ़ता था? तो हज़रत समुराने कहा: किस चीज से तुम्हें ताज्जुब हो रहा है? बस उसी तरफ से तो खाना बढ़ सकता है, उन्होंने अपने हाथ से आसमान की तरफ इशारा किया। (सुनन तिरमिजी)

अल्लाह ने पेड़ों और पत्थरों को भी अपने पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के अधीन बनाकर उनको आपकी पैगंबरी की निशानी के तौर पर प्रस्तुत किया, पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपने साथियों के साथ एक घाटी में उतरे और दो पेड़ों को पकड़ा, दोनों पेड़ आपके साथ झुक गए और आपके हुक्म पर दोनों इकट्ठे हो गए। (सही मुस्लिम)

आप जब मक्का में थे तो क़ुरआन सुनने के लिए जिन्नात जमा हुए और आपके पास ही एक पेड़ ने जिन्नात की मौजूदगी के बारे में आपको सूचना दी। (बुखारी वे मुस्लिम)

आप अपनी मस्जिद में खजूर के तने पर टेक लगाकर खुतबा दिया करते थे, फिर आपके लिए मिंबर बनाया गया जब आप मिंबर पर चढ़कर खुतबा देने लगे तो खजूर का तना बच्चों की तरह तड़प कर रोने लगा यहां तक कि आपने जब उस पर हाथ रखा तब वह शांत हुआ। (सही बुखारी)

आप कहते हैं कि "मैं मक्का में उस पत्थर को जानता हूं जो मेरे नबी होने से पहले ही मुझे सलाम किया करता था आज भी मैं उसे जानता हूं। (सही मुस्लिम)

आप उहुद पहाड़ पर जब अपने चंद साथियों के साथ जब चढ़े तो पहाड़ कांपने लगा, आपने उस पर पैर मारा और कहा उहुद पहाड़ स्थिर हो जाओ तो पहाड़ स्थिर हो गया। (सही बुखारी)

अल्लाह ने पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की फरिश्तों के जरिए से भी मदद की, आपसे पहले किसी को फरिश्तों के जरिए मदद नहीं की गई थी, यह भी आपकी पैगंबरी की निशानी है, मक्का में पहाड़ के फरिश्ते ने आप से अनुमति मांगी थी कि आप कहें तो यहां के काफिरों को दो पहाड़ों में पीस दिया जाए, आप ने मना किया और अल्लाह से उन के लिए मोहलत की बिनती की ।

मक्का से मदीना हिजरत के वक्त अल्लाह ने कुरान में उस वक्त का मंजर खींचा है जब दो लोग गुफा में थे तब दूसरे ने अपने साथी से कहा: गम ना करो निसंदेह अल्लाह हमारे साथ है, तो अल्लाह ने उन पर सुकून व इत्मीनान नाजिल किया और ऐसे लश्कर से मदद की जिन्हें तुम देख नहीं सके।

बदर में बेहतरीन फरिश्तों ने आपके साथ लड़ाई लड़ी

उहुद में पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को देखा गया कि आप दो फरिश्ते जिब्रील वे मिकाइल (अलैहिमस्सलाम) के दरमियान हैं जो आपकी तरफ से सख्त लड़ाई लड़ रहे हैं। (बुखारी वे मुस्लिम)

खन्दक़ से बनू कुरैज़ा की बस्ती तक फरिश्ता जिब्रील (अलैहिस्सलाम) आपके साथ साथ चले। (सही बुखारी)

पैगंबरी की निशानियों में से यह भी है कि अल्लाह ने आपको पैग़ंबरी की हालत में दुश्मनों से बचाया, अल्लाह ने ऐलान किया कि: "अल्लाह लोगों से आपकी रक्षा करेगा" तो आपके दुश्मन अपने संख्या बल और शक्ति के बावजूद आप पर कंट्रोल नहीं कर पाए यहां तक कि खुद आप विजई बनकर उभरे।

कुछ यहूदियों ने आप पर जादू किया तो अल्लाह ने उनके जादू की हक़ीक़त खोल दी और उसे बेअसर कर दिया।

कुछ लोगों ने बकरी के गोश्त में ज़हर मिला दिया तो अल्लाह ने इसके बारे में आपको खबर दे दी।

आपकी पैग़ंबरी की निशानियों में से आपका पवित्र अखलाक और नेक चरित्र भी है।

आपके मामले के स्पष्ट होने, लोगों का आपके अनुयाई बनने और आप की खातिर खातिर तन मन धन कि बाजी लगाने के बावजूद आप की मौत इस हालत में हुई कि आपने कोई दिरहम और दीनार या कोई बकरी या ऊंट अपने पीछे नहीं छोड़ा सिवाय अपने खच्चर, हथियार और उस जंगी लिबास के जो एक यहूदी के पास 30 सा (लगभग 90 किलो) जौ के बदले में गिरवी रखा हुआ था जो आपने अपने परिवार के लिए खरीदा था।

तत्पश्चात ऐ मुसलमानो! जो भी पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की पैदाइश से मौत तक की जीवनी पर अध्ययन करेगा जान लेगा कि आप सच में अल्लाह के पैग़ंबर थे, आप ऐसी वाणी लेकर के आए जिसे ना पूर्व के लोगों ने सुना और ना ही दूसरे लोगों ने सुना, आपने हमेशा अपनी उम्मत को तौहीद (एकेश्वरवाद) का हुक्म दिया, उनकी हर भलाई की तरफ रहनुमाई की और हर बुराई से उन्हें रोका, अल्लाह ने आपके हाथ से बहुत ही अजीब चमत्कार और निशानियां जाहिर फरमाईं, आप एक संपूर्ण धर्म लेकर आए, पूर्व की उम्मतों के अंदर जो खूबियां थीं उन सब को इस धर्म में जमा कर दिया गया, लिहाज़ा आप की उम्मत हर गुण में तमाम उम्मतों से ज़्यादा परिपूर्ण हो गई, इसी से उन्होंने इन गुणों को लिया और सीखा और इसी का आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने उम्मत को आदेश दिया जिसका नतीजा ये निकला कि आप के अनुयायियों में से धरती पर सबसे बड़े ज्ञानी बने, सबसे बड़े दीनदार, इंसाफ पसंद और सर्वश्रेष्ठ बने।

मैं शापित शैतान से अल्लाह की शरण मांगता हूं, "ऐ पैग़ंबर! आप कह दीजिए कि निसंदेह मैं तुम्हारे जैसा एक इंसान हूं जिसकी तरफ वह्य (रब की वाणी) उतारी जाती है कि तुम्हारा पूजनीय रब सिर्फ एक है, अतः जो अपने रब की मुलाकात पर यकीन रखता है उसको चाहिए कि अच्छे कर्म करे और अपने रब की इबादत, पूजा व प्रार्थना में किसी को साझी ना बनाएं"।

अल्लाह मुझे और आपको महान क़ुरआन के सिलसिले में बरकतों से नवाज़े।


दूसरा खुतबा

अल्लाह के एहसान पर उसकी समस्त प्रशंसाएं, उस के मार्गदर्शन और कृपा पर सारा शुक्र व आभार, मैं अल्लाह को उसके मामले में महान समझते हुए गवाही देता हूं कि अकेले अल्लाह के अलावा कोई पूजनीय नहीं है वे उसका कोई साझी नहीं है, मैं गवाही देता हूं कि हमारेपैग़ंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अल्लाह के बंदे और उसके रसूल (पैग़ंबर) हैं।

मुसलमानो! हमारे पैग़ंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के मोजिजे और उनकी सच्चाई के प्रमाणों पर गौर फिक्र करने से ईमान में इजाफ़ा होता है, आपकी रोशन खूबियों और पवित्र शरीयत पर अधिक से अधिक अध्ययन करने से हमें ऊंचाई मिलती है, साथ ही पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के बिना अल्लाह के बारे में जानकारी का कोई माध्यम नहीं, जो आपकी पैग़म्बरी की सच्चाई और उसके रोशन प्रमाणों को जानना चाहता है तो उसे कुरआन को लाजिम पकड़ना चाहिए।

चूंकि सृष्टि को दुनिया की हर चीज से ज़्यादा पैगंबरों की ज़रूरत है, इसीलिए उसकी सच्चाई के परमाणों को भी अल्लाह ने मुहैया कर दिया ताकि उनके जरिए से पैग़ंबरों की सच्चाई को जाना जा सके, ऐसे प्रमाण बहुत ज़्यादा स्पष्ट और आम हैं, कोई शत्रु ही होगा जो इन सब के बावजूद आप पर ईमान नहीं लाएगा, इसी तरह इनकी सच्चाई को मानने से इनकार करने वाला कोई घमंडी ही सकता है, पैग़ंबरी की सच्चाई को मान्ने और आपकी पैरवी करने में ही सारी भलाई है, फिर जान लो कि अल्लाह ने अपने पैग़ंबर पर दरूद व सलाम भेजने का आदेश दिया है।


[1] ये भासण जुमे के दिन दिनांक 21-04-1443 को मस्जिद नबवी में दिया गया।

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