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صور من رحمة النبي صلى الله عليه وسلم بغير المسلمين (هندي)

الوصف

مقالة مترجمة إلى اللغة الهندية تُوضِّح أن بعثة الرسول صلى الله عليه وسلم رحمة مهداة للبشرية، أرسله الله رحمة للعالمين، ولم تقتصر رحمته صلى الله عليه وسلم على المؤمنين، بل شملت حتى الكافرين به، وسيرته صلى الله عليه وسلم وأحاديثه عامرة بصور ومواقف كثيرة تُبيِّن رحمته بالكافرين. وفي هذا المقال بيان صور من رحمة النبي صلى الله عليه وسلم بغير المسلمين.

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    ग़ैरमुस्लिमों के साथ पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की दयालुता के कुछ उदाहरण

    ] हिन्दी & Hindi &[ هندي

    साइट रसूलल्लाह

    संशोधन व शुद्धिकरणः अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह

    2014 - 1435

    صور من رحمة النبي ﷺ بغير المسلمين

    « باللغة الهندية »

    موقع نصرة رسول الله صلى الله عليه وسلم

    مراجعة و تصحيح: عطاء الرحمن ضياء الله

    2014 - 1435

    #

    बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

    मैं अति मेहरबान और दयालु अल्लाह के नाम से आरम्भ करता हूँ।

    إن الحمد لله نحمده ونستعينه ونستغفره، ونعوذ بالله من شرور أنفسنا، وسيئات أعمالنا، من يهده الله فلا مضل له، ومن يضلل فلا هادي له، وبعد:

    हर प्रकार की हम्द व सना (प्रशंसा और गुणगान) केवल अल्लाह के लिए योग्य है, हम उसी की प्रशंसा करते हैं, उसी से मदद मांगते और उसी से क्षमा याचना करते हैं, तथा हम अपने नफ्स की बुराई और अपने बुरे कामों से अल्लाह की पनाह में आते हैं, जिसे अल्लाह तआला हिदायत प्रदान कर दे उसे कोई पथभ्रष्ट (गुमराह) करने वाला नहीं, और जिसे गुमराह कर दे उसे कोई हिदायत देने वाला नहीं। हम्द व सना के बाद :

    ग़ैरमुस्लिमों के साथ पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की दयालुता के कुछ उदाहरण

    पहला उदाहरण :

    आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा - अल्लाह उनसे खुश रहे - ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम – उनपर अल्लाह की दया व शान्ति अवतरित हो – से पूछा:

    क्या आप पर कोई ऐसा दिन भी आया है जो उहुद के दिन से भी अधिक कठिन रहा हो? आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः ''मुझे तुम्हारी क़ौम की ओर से जिन जिन मुसीबतों का सामना हुआ वह हुआ ही, और उन में से सबसे कठिन मुसीबत वह थी जिस से मैं घाटी के दिन दो चार हुआ, जब मैं ने अपने आप को अब्द-यालील पुत्र अब्द-कुलाल के बेटे पर पेश किया। किन्तु उसने मेरी बात न मानी तो मैं दुख से चूर, ग़म से निढाल अपनी दिशा में चल पड़ा और मुझे 'क़र्नुस-सआलिब' नामी स्थान पर पहुँच कर ही इफाक़ा हुआ। मैं ने अपना सिर उठाया तो क्या देखता हूँ कि बादल का एक टुकड़ा मुझ पर छाया किए हुए है। मैं ने ध्यान से देखा तो उसमें जिब्रील थे। उन्हों ने मुझे पुकार कर कहाः आप की क़ौम ने आप से जो बात कही और आप को जो जवाब दिया अल्लाह ने उसे सुन लिया है। उसने आप के पास पहाड़ का फरिश्ता भेजा है ताकि आप उनके बारे में उसे जो आदेश चाहें, दें। उसके बाद पहाड़ के फरिश्ते ने मुझे आवाज़ दी और मुझे सलाम करने के बाद कहाः ऐ मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम! बात यही है, अब आप जो चाहें। अगर आप चाहें कि मैं इन को दो पहाड़ों के बीच कुचल दूँ (तो ऐसा ही होगा)। पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः ''नहीं, बल्कि मुझे आशा है कि अल्लाह तआला इनकी पीठ से ऐसी नस्ल पैदा करेगा जो केवल एक अल्लाह की इबादत (उपासना) करेगी और उसके साथ किसी चीज़ को साझी नहीं ठहराए गी।'' (सहीह बुखारी)

    दूसरा उदाहरण :

    अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा के द्वारा उल्लेख किया गया है कि : ''पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम एक जंग में थे। उसमें एक महिला मृत पाई गई। तो पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने महिलाओं और बच्चों की हत्या किए जाने का खंडन किया।'' इसे बुखारी और मुस्लिम ने रिवायत किया है।

    तथा बुखारी और मुस्लिम की एक दूसरी रिवायत में है किः ''पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की उपस्थिति में लड़ी जाने वाली एक जंग में एक महिला मृत पाई गई, तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने महिलाओं और बच्चों की हत्या करने से मना कर दिया।''

    तीसरा उदाहरण :

    अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है किः एक यहूदी युवा पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सेवा किया करता था। एक बार वह बीमार हो गया, तो पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उसकी तीमारदारी के लिये उसके पास आए और उसके सिर के पास बैठ गए। फिर आप ने उससे कहा : इस्लाम स्वीकार करलो। युवा ने अपने पिता की ओर देखा जो कि उसके पास ही था। तो उसके पिता ने उससे कहा कि : अबुल क़ासिम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की बात मान लो। तो उस युवा ने इस्लाम स्वीकार कर लिया। इस पर पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम वहाँ से यह फरमाते हुए निकले : सभी प्रशंसा अल्लाह के लिए है जिसने इसको नरक की आग से बचा लिया।'' इसे बुखारी ने रिवायत किया है।

    चौथा उदाहरण :

    अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ियल्लाहु अन्हुमा से वर्णित है कि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा : ''जिसने किसी ऐसे व्यक्ति की हत्या कर दी जिसे वचन दिया गया है, वह स्वर्ग की महक भी न पाएगा, जबकि उसकी महक चालीस साल की दूरी से ही महसूस की जायेगी।'' इसे बुखारी ने रिवायत किया है।

    पाँचवां उदाहरण :

    बुरैदा बिन हुसैब रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है वह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के विषय में उल्लेख करते हैं कि जब वह किसी व्यक्ति को किसी सेना या फौजी टुकड़ी का अगुआ बनाते थे तो विशिष्ट रूप से उसे अल्लाह से डरने और उसके मुसलमान सहयोगियों के साथ भलाई करने की वसीयत करते थे। फिर आप उनसे फरमाते : ''अल्लाह का नाम लेकर और अल्लाह के रासते में लड़ो, जो अल्लाह को नहीं मानता है उससे लड़ाई करो। लड़ो, लेकिन जंग से प्राप्त गनीमत की राशि में चोरी न करो, धोका मत दो, शवों का अंग भंग न करो, बच्चे की हत्या मत करो। जब तुम्हारी अनेकेश्वरवादी दुश्मनों से मुठभेड़ हो, तो तुम पहले उनके सामने तीन प्रस्ताव रखो। वे उन में से जो भी मान लें, तुम उनसे स्वीकार करलो और उनसे रुक जाओ। फिर तुम उन्हें इस्लाम की ओर बुलाओ। यदि वे मान लें, तो तुम उनकी ओर से स्वीकार कर लो और उनसे रुक जाओ। फिर उन्हें उनके घरों से मुहाजिरों के घर (यानी मदीना) आने के लिए कहो। और उन्हें बता दो कि यदि वे ऐसा करते हैं तो उनके अधिकार और कर्तव्य मुहाजिरीन के बराबर होंगे। यदि उनकी इच्छा मदीना आने की न हो तो उनकी स्तिथि शहर से दूर रहने वाले देहाती मुसलमानों की तरह होगी। उन लोगों पर अल्लाह के वही नियम लागू होंगे जो सार्वजनिक मुसलमानों पर लागू होते हैं। उनको जंग में प्राप्त हुए धन गनीमत और फय में से कुछ नहीं मिलेगा, सिवाय इसके कि वे मुसलमानों के साथ मिलकर जिहाद करें। यदि वे इसे स्वीकार नहीं करते हैं, तो उनसे जिज़्या मांगो। यदि वे इसे मान लेते हैं तो तुम उनकी ओर से इसे स्वीकार कर लो और उनसे रुक जाओ। यदि वे ना मानें तो अल्लाह की सहायता लो और उनसे युद्ध करो।

    जब तुम किसी क़िला वालों का घेराव करो, फिर वे आप से चाहें कि आप उन्हें अल्लाह और उसके पैगंबर का ज़िम्मा दे दें, तो आप उन्हें अल्लाह और उसके पैगंबर का ज़िम्मा न दें, बल्कि उन्हें अपना और अपने साथियों का ज़िम्मा दें। क्योंकि तुम्हारा अपने और अपने साथियों के ज़िम्मा को तोड़ना, अल्लाह के ज़िम्मा और उसके पैगंबर के ज़िम्मे को तोड़ने से कुछ आसान है। और जब तुम किसी क़िला वालों का घेराव करो, और वे तुम से चाहें कि तुम उन्हें अल्लाह के हुक्म पर उतारो, तो तुम उन्हें अल्लाह के हुक्म पर न उतारना। बल्कि तुम उन्हें अपने हुक्म पर उतारो। क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम उनके बारे में अल्लाह के हुक्म को पहुँचो गे या नहीं।'' इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।

    छठा उदाहरण :

    अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है, वह कहते हैं : नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने नज्द की ओर कुछ घुड़सवार भेजे। वे लोग बनू हनीफा (नामी क़बीले) के एक आदमी को पकड़ कर लाए जिसे ‘सुमामह बिन उसाल’ कहा जाता था। वह यमामा वालों का सरदार था। उसे मस्जिद नबवी के एक खम्बे से बांध दिया गया। पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उसके पास आए और उस से कहाः ‘‘सुमामा तुम्हारे पास क्या है?’’ उसने उत्तर दियाः ऐ मुहम्मद! मेरे पास भलाई है; अगर आप मुझे क़त्ल कर देते हैं, तो एक खून वाले को क़त्ल करेंगे। और यदि मुझ पर एहसान करते हैं तो एक आभारी पर एहसान करेंगे। और अगर आप माल चाहते हैं, तो मांगिए, जितना चाहें मिलेगा। चुनांचे आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उसे छोड़ दिया। फिर दूसरे दिन आप ने उससे कहा : ''सुमामा तुम्हारे पास क्या है?'' उस ने उत्तर दियाः वही जो मैं आप से कह चुका। अगर आप मुझे क़त्ल कर देते हैं तो एक खून वाले को क़त्ल करेंगे। और यदि मुझ पर एहसान करते हैं तो एक आभारी पर एहसान करेंगे। और अगर आप माल चाहते हैं, तो मांगिए, जितना चाहें मिलेगा। फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उसे छोड़ दिया। यहाँ तक कि दूसरे दिन आप ने उससे कहा: ‘‘सुमामा तुम्हारे पास क्या है?’’ उस ने उत्तर दियाः वही जो मैं पहले आप से कह चुका; यदि आप मुझ पर एहसान करते हैं तो एक आभारी पर एहसान करेंगे, और अगर आप मुझे क़त्ल कर देते हैं तो एक खून वाले को क़त्ल करेंगे। और अगर आप माल चाहते हैं, तो मांगिए, जितना चाहें मिलेगा। इस पर आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः ''सुमामा को छोड़ दो।'' फिर वह मस्जिद के निकट खजूर के एक बाग में गए और स्नान किया। फिर मस्जिद में दाखिल हुए और कहा: मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई सच्चा पूज्य नहीं और मैं गवाही देता हूं कि मुहम्मद अल्लाह के बन्दे और उसके ईश्दूत हैं। ऐ मुहम्मद ! अल्लाह की क़सम धरती पर मेरे निकट आप से अधिक नापसंदीदा चेहरा किसी का नहीं था, अब आप का चेहरा मेरे निकट सब से अधिक पसंदीदा हो गया है। अल्लाह की क़सम, मेरे निकट आप के दीन से अधिक नापसंदीदा दीन कोई और नहीं था, लेकिन अब आप का दीन मेरे निकट सब से पसंदीदा दीन बन गया है। अल्लाह की क़सम मेरे निकट आप के नगर से अधिक नापसंदीदा नगर कोई और नही था, लेकिन अब आप की नगरी मेरे निकट सब से अधिक पसंदीदा हो गई है। दरअसल, मैं उम्रा करने के लिए जा रहा था कि आप के घुड़सवारों ने मुझे पकड़ लिया। अब आप का क्या विचार है?

    पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उन्हें खुशखबरी दी और उन्हें उम्रा करने का हुक्म दिया।

    जब वह मक्का पहुँचे तो किसी ने कहा : क्या तुम अधर्मी हो गए? उन्हों ने कहाः नहीं, बल्कि मैं ने अल्लाह के पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ इस्लाम स्वीकार कर लिया है। अल्लाह की क़सम, अब तुम्हारे पास यमामा से गेहूँ का एक दाना भी नहीं आए गा यहाँ तक कि पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इस की अनुमति प्रदान करदें। (बुखारी एवं मुस्लिम).

    सातवाँ उदाहरण :

    खालिद बिन वलीद रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने कहा : मैं खैबर के युद्ध में पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ था, तो यहूदियों ने आकर शिकायत की कि लोग उनके मवेशियों के बाड़ों में घुस पड़े हैं। इस पर पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा : जिन के साथ हमारा वचन है उनके धन को बिना अधिकार के लेना उचित नहीं है।'' इसे अबू दाऊद ने हसन (अच्छी) सनद के साथ रिवायत किया है।

    आठवाँ उदाहरण :

    सहल बिन सअद अस-साएदी रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को खैबर के युद्ध के दिन यह कहते हुए सुना : ''मैं (कल) झंडा उस आदमी को दूंगा जिसके हाथ पर अल्लाह हमें जीत देगा.'' साथी उठ खड़े हुए कि देखें झंडा किसको मिलता है। वे सुबह इस हालत में आए कि हर एक यह आशा कर रहा था कि उसे झंडा दिया जाए। फिर आप ने पूछा : ''अली कहाँ हैं?'' उत्तर मिलाः उनकी आँख में दर्द है। आप ने अली को बुलवाया और उनकी आँखों में अपना पवित्र थूक लगाया। तो वह तुरन्त ठीक हो गए जैसे कि उन्हें कुछ हुआ ही नहीं था। तो अली रज़ियल्लाहु अन्हु ने पूछा : क्या हम उनसे युद्ध करें यहाँ तक कि वे हमारी तरह (मुसलमान) हो जाएँ? इस पर पैगंबर ने कहा : ''धीरे से रवाना हो जाओ, यहाँ तक कि तुम उनके क्षेत्र में पहुँच जाओ। फिर उन्हें इस्लाम की ओर बुलाओ, और उन्हें उनके कर्तव्यों से अवज्ञत करादो। तो अल्लाह की क़सम ! यदि अल्लाह तुम्हारे द्वारा एक आदमी को भी मार्गदर्शन प्रदान कर दे तो यह तुम्हारे लिए लाल ऊँटों से अधिक अच्छा है।'' इसे बुखारी और मुस्लिम ने रिवायत किया है।

    नवाँ उदाहरण :

    अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने कहाः कहा गया किः हे अल्लाह के पैगंबर ! अनेकेश्वरवादियों (मुश्रिकों) पर श्राप कर दीजिये। इस पर आप ने कहा : ''मैं श्राप देनेवाला बनाकर नहीं भेजा गया हूँ, बल्कि मैं तो सरासर दया बनाकर भेजा गया हूँ।'' इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।

    दसवाँ उदाहरण :

    अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने कहाः मैं अपनी माँ को इस्लाम धर्म की ओर आमंत्रित करता रहता था जबकि वह एक मूर्तिपूजक थीं। एक दिन जब मैं ने उनको इस्लाम धर्म की ओर आमंत्रित किया तो उन्होंने मुझे पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के बारे में एक ऐसी बात सुनाई जो मुझे नापसंद लगी। चुनांचा मैं रोता हुआ पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आया और कहा : हे अल्लाह के पैगंबर ! मैं अप्नी माँ को इस्लाम की ओर आमंत्रित करता रहता था पर वह मुझे नकार देती थीं। तो आज जब मैं ने उन्हें आमंत्रित क्या तो उन्हों ने मुझे आपके बारे में ऐसी बात सुनाई जो मुझे अच्छी नहीं लगी। अतः आप अल्लाह से दुआ कर दीजिए कि अबू हुरैरा की माँ को मार्गदर्शन प्रदान कर दे। इस पर पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा: हे अल्लाह ! तू अबू हुरैरा की माँ को सच्चाई का रास्ता दर्शा दे। मैं पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की दुआ पर बहुत खुश होकर वहाँ से निकला। जब मैं दरवाजे के पास पहुँचा, तो वह खुला हुआ था। मेरी माँ ने मेरे पैरों की आहट सुनकर कहा : अबू हुरैरा! जहाँ हो वहीँ रुके रहो। और मैं ने पानी के गिरने की आवाज़ सुनी। अबू हुरैरा ने कहाः चुनांचे उन्होने स्नान किया और अपने कपड़े पहनकर जल्दी से आईं और दरवाज़ा खोला। फिर उन्हों ने कहा : हे अबू हुरैरा ! "अशहदु अल्लाइलाहा इल्लाल्लाह, व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुह" अर्थात् मैं गवाही देती हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई पूजे जाने के योग्य नहीं, और मैं गवाही देती हूँ कि मुहम्मद अल्लाह के बंदे और उसके पैगंबर हैँ। अबू हुरैरा कहते हैं: इसके बाद मैं अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास वापस गया, मैं आपके पास इस हाल में आया कि मैं खुशी से रो रहा था। वह कहते हैं कि मैं ने कहा : हे अल्लाह के पैगंबर! खुश हो जाईए, अल्लाह ने आपकी दुआ को क़बूल कर लिया और अबू हुरैरा की माँ को सत्यमार्ग दर्शा दिया। अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अल्लाह का शुक्रिया अदा किया और उसकी प्रशंसा की और अच्छी बात कही। वह कहते हैं कि मैं ने कहा : हे अल्लाह के पैगंबर ! अल्लाह से प्रर्थना करदीजिए कि वह मुझे और मेरी माँ को अपने विश्वासी बंदों के निकट प्रिय बना दे तथा उन्हें हमारे निकट प्रिय बना दे। तो अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इन शब्दों में प्रर्थना की : हे अल्लाह! तू अपने इस बंदे – अबू हुरैरा – और उसकी माँ को अपने विश्वासी बंदों के निकट प्रिय बना दे, तथा विश्वासियों को इनके निकट प्रिय बना दे। अबू हुरैरा ने कहा : ''इसलिये जो भी विश्वासी पैदा होगा और वह मेरे बारे मे सुनेगा जबकि वह मुझे नहीं देखेगा, परंतु वह मुझसे मोहब्बत रखेगा।'' (सहीह मुस्लिम)

    ग्यारहवाँ उदाहरण :

    अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने कहा : तुफैल बिन अम्र अद्दौसी और उनके साथी पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आए, और कहा : हे अल्लाह के पैगंबर ! दौस (नामी क़बीला) के लोगों ने अवहेलना की है और इनकार किया है, अतः आप उनपर श्राप कर दीजिए। उन्हों ने आपस में कहा कि अब तो दौस तबाह हो गया। लेकिन पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा : हे अल्लाह! दौस को मार्गदर्शन प्रदान कर दे और उन्हें लेकर आ।'' (सहीह बुखारी)

    बारहवाँ उदाहरण :

    जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु अन्हुमा से वर्णित है कि उन्हों ने कहा : हे अल्लाह के पैगंबर! सकीफ़ (नामक क़बीले) की तीरों ने हमें चूर-चूर करके रख दिया है, अतः आप उनको श्राप दे दीजिये। इस पर आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा : ''हे अल्लाह ! तू सकीफ़ को सच्चा मार्ग दिखा।'' इसे तिर्मिज़ी ने सहीह सनद के साथ रिवायत किया है।




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